नई दिल्ली: तिब्बत की निर्वासित सरकार ने राजधानी दिल्ली के राजघाट में आयोजित होने वाले एक कार्यक्रम को रद्द कर दिया है जबकि एक अन्य कार्यक्रम को धर्मशाला स्थानांतरित कर दिया है. ये कार्यक्रम दलाईलामा का भारत में निर्वासन का 60वां वर्ष मनाने के लिए आयोजित किये जाने थे. केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के प्रवक्ता सोनम दागपो ने यह बात मीडिया में आई उस खबर की पृष्ठभूमि में कही कि भारत सरकार ने केंद्र और राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों को दिए निर्देश में तिब्बतियों की ओर से आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रम से दूर रहने को कहा था. उन्होंने कहा कि राजघाट में प्रस्तावित प्रार्थना सभा को रद्द कर दिया गया है तथा 31 मार्च को यहां के त्यागराज स्टेडियम में आयोजित होने वाला ‘थैंक यू इंडिया’ कार्यक्रम अब धर्मशाला में 31 मार्च या एक अप्रैल को होगा.
दलाईलामा का दोनों कार्यक्रमों में हिस्सा लेना प्रस्तावित था. प्रवक्ता ने कहा कि केंद्रीय तिब्बती प्रशासन को इस मुद्दे पर भारत सरकार से कोई पत्र नहीं मिला है. दागपो ने कहा, ‘हमारी इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं है. हम सरकार और भारत के लोगों के प्रति इस बात के लिए आभारी हैं कि उन्होंने तिब्बती शरणार्थियों का 60 वर्ष तक सत्कार किया. हम इसके लिए भारत के लोगों के प्रति आभार जताना चाहते हैं.’
दलाईलामा ब्यूरो के प्रवक्ता त्सेरिंग धोंदुप ने कहा, ‘कार्यक्रम रद्द करने का सरकार की ओर से कोई सीधा संदेश नहीं था लेकिन हमारे नेतृत्व को यह कहा गया था कि संभवत: ये कार्यक्रम दिल्ली में नहीं होने चाहिए.’ गत सप्ताह इंडियन एक्सप्रेस ने खबर दी थी कि विदेश सचिव विजय गोखले के एक पत्र के बाद कैबिनेट सचिव पी के सिन्हा ने केंद्र और राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों को पत्र भेजकर तिब्बतियों की ओर से आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में शामिल नहीं होने के लिए कहा था. खबर में कहा गया था कि सरकार ने उक्त नोट चीन के साथ भारत के संबंधों के ‘संवेदनशील’ चरण का उल्लेख करते हुए जारी किया था.
यह पूछे जाने पर कि क्या भारत सरकार का कथित नोट दलाईलामा और तिब्बती शरणार्थियों के प्रति भारत के रूख के बदलाव का संकेत है, दागपो ने कहा, ‘ नहीं.’ उन्होंने कहा, ‘विदेश मंत्रालय ने मुद्दे पर अपना रुख पिछले सप्ताह पहले ही स्पष्ट कर दिया है.’ कैबिनेट सचिव के नोट की खबर के बाद विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा था कि दलाईलामा एक सम्मानित धार्मिक नेता हैं और भारत में उन्हें काफी सम्मान किया जाता है और उस रुख में कोई बदलाव नहीं आया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा था कि दलाईलामा को ‘भारत में अपनी सभी धार्मिक गतिविधियां संचालित करने की पूरी स्वतंत्रता है.’