प्रश्न- दिल्ली में जिस तरह की भयंकर हिंसा हुई है, उसे देखते हुए आप क्या कहेंगे? कहां पर चूक हुई जिसकी वजह से मामला इतना आगे बढ़ गया?
देखिए, जिस स्तर की हिंसा हुई है, उससे स्पष्ट है कि यह सुनियोजित साजिश का परिणाम है। जिस मात्रा में लोगों की मौतें हुईं, अभी तक लोग गायब हैं, न जाने कितनों की लाशें तक नहीं मिल पाई हैं। मकान-दुकान और वाहन जलाये गये और पुलिस उन्हें रोक नहीं पाई, उससे यह साफ है कि यह अचानक में नहीं हो सकता। इसकी जांच होनी चाहिए कि इसके पीछे कौन लोग थे? नागरिकता कानून के विरोध प्रदर्शनों को सरकार रोक नहीं पा रही थी, इसलिए ये साजिश कर उन प्रदर्शनों को रोकने की कोशिश की गई है।
प्रश्न- आपको क्या लगता है इन दंगों के पीछे किसकी साजिश हो सकती है?
यह तो पुलिस की ही जिम्मेदारी है कि वह जांच कर सच को सामने लाये। लेकिन मैं इतना जरूर कहूंगा कि खुद पुलिस भी इस मामले में निष्पक्ष नहीं है। दंगाग्रस्त इलाकों में पुलिस 72 घंटों तक गायब रही, इसका क्या मतलब है? उसकी भूमिका भी संदेह के घेरे में है और उसकी भूमिका की भी जांच की जानी चाहिए। इस हिंसा की शुरुआत भाजपा नेता कपिल मिश्रा के भाषणों से हुई है। उनकी भूमिका की भी जांच होनी चाहिए।
प्रश्न- लेकिन भड़काऊ भाषण देने के आरोप आप नेता अमानतुल्लाह खान और अन्य लोगों पर भी हैं। आईबी के अधिकारी अंकित शर्मा की हत्या में आप पार्षद ताहिर हुसैन पर गंभीर आरोप हैं। उनके घर पर एसिड की बोतलें, पत्थर बरामद हुए हैं। क्या कहेंगे?
मैं किसी का बचाव नहीं कर रहा हूं। कोई भी हो उसकी जांच होनी चाहिए और दोषियों को दंड मिलना चाहिए। अमानतुल्लाह खान का बयान बिलकुल भड़काऊ था, मैं उसके बिलकुल खिलाफ हूं। उसके खिलाफ मैंने अरविंद केजरीवाल से शिकायत भी की थी, लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की।
लेकिन ताहिर हुसैन के घर पर जो चीजें मिलीं उसे पुलिस रख भी सकती है, मकान तो पूरी तरह खाली था। लेकिन मैं किसी का बचाव नहीं कर रहा हूं। सबकी जांच होनी चाहिए? सरकार ने ढील दी, भड़काऊ भाषण देने वालों पर कार्रवाई नहीं की, जिससे ये दंगे भड़के। अगर कार्रवाई हुई होती तो ये दंगे नहीं हुए होते।
प्रश्न- क्या आपको लगता है कि दंगों से निबटने में केंद्र सरकार सक्षम रही है?
केंद्र की नाक के नीचे जो हिंसा हुई है, उससे निबटने के तरीके से ही समझ में आता है कि इस मामले में उनकी भूमिका संदिग्ध है। अगर वे पाक-साफ हैं तो दोषियों पर कार्रवाई करें। कार्रवाई करते हैं, दोषियों को सजा दिलवाते हैं और पीड़ितों को इंसाफ मिलता है तो हम ये मानेंगे कि इस मामले में वे सही हैं।
प्रश्न- लखनऊ में भी इसी तरह के नागरिकता कानून विरोधी प्रदर्शन हुए थे। योगी आदित्यनाथ उनसे बेहद कड़ाई से निबटे। अब दिल्ली में हुई हिंसा के बाद क्या आपको लगता है कि उनका कड़ा रवैया सही था?
नहीं, बिल्कुल नहीं। देखिये, वे कई मामलों में बहुत ज्यादा सख्त हो जाते हैं। लोकतंत्र में इतनी ज्यादा कड़ाई ठीक नहीं है। आपको सबको साथ लेकर आगे बढ़ने की नीति का पालन करना चाहिए। मुख्यमंत्री को बड़े दिल वाला होना चाहिए।
प्रश्न- क्या इन घटनाओं से पीएम नरेंद्र मोदी की ‘सबका साथ, सबका विश्वास’ वाली छवि पर असर पड़ा है?
बिल्कुल, उनकी छवि को बड़ा नुकसान हुआ है। उन्हें भी इसे समझना चाहिए और ऐसे समय में उनको चुप नहीं रहना चाहिए। दंगों के बाद मुसलमान बहुत डरा हुआ है। उन्हें पीड़ितों को इंसाफ दिलाना चाहिए और दोषियों को सजा दिलवानी चाहिए।
प्रश्न- सारा विवाद नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर शुरू हुआ है। इस कानून में मुसलमानों को शामिल नहीं किया गया है। आप क्या कहेंगे?
नागरिकता कानून के कारण मुसलमानों में डर पैदा हुआ है कि कहीं वे हमें बाहर न निकाल दें, या हमको डीटेंशन कैंपों में न रख दिया जाए। सबसे बड़ी बात है कि सरकार यह भय दूर नहीं कर रही है, बल्कि वो इस डर का फायदा उठा रही है। सरकार को इस डर का फायदा नहीं उठाना चाहिए बल्कि इसे दूर करना चाहिए। यह उनकी जिम्मेदारी है।
सरकार ने सीधे तौर पर कहा है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश में जो भी पीड़ित हैं, उन्हें वो नागरिकता देंगे। अगर ऐसा है तो उसे यह भी समझना चाहिए कि अफगानिस्तान में शिया मुसलमान पीड़ित हैं, चीन और म्यांमार में भी मुसलमान पीड़ित हैं। उन्हें भी सरकार को नागरिकता देने का विकल्प देना चाहिए।
प्रश्न- अफवाहें उड़ाई जा रही हैं कि सरकार इसके बाद जनसंख्या नियंत्रण कानून लेकर आ सकती है। अल्पसंख्यकों में इसे लेकर बड़ी दुविधा है। इस पर आपकी क्या राय है?
संजय गांधी के जमाने में भी यही हुआ था। अब ऐसी कोई कोशिश नहीं की जानी चाहिए। मुझे लगता है कि जोर-जबरदस्ती से हालात खराब होंगे। कड़े कानून लाने की बजाय इसके बारे में लोगों को शिक्षित और जागरूक किया जाना चाहिए। उसे बताया जाना चाहिए कि ज्यादा बच्चे होने से उसका कैसे नुकसान होता है। इसका यही रास्ता हो सकता है।
प्रश्न- आप शिया धर्मगुरु हैं, आपका अनुसरण करने वाले बहुत लोग हैं। आप लोगों से क्या अपील करेंगे?
मैं सभी लोगों से एक ही बात कह रहा हूं, इन दंगों को ध्यान से देखिये। इन दंगों में एक भी करोड़पति-अरबपति नहीं मरा। सारे गरीब लोग ही मारे गये हैं। किसी एक भी नेता का भाई-भतीजा या उनका आदमी नहीं मारा गया है। अब दंगों के बाद वे इस पर अपनी रोटियां सेंक रहे हैं। नेताओं की इस चाल को समझिये और आपस में प्यार-मोहब्बत से रहिए।