यौमे अली असग़र अम्न के दुश्मनों के लिए दिलो में ज़र्ब है -मौलाना मुराद रज़ा
बाराबंकी में मुहर्रम का पहला जुमा यौमें अली असग़र के नाम अकीदत से गया मनाया
बाराबंकी। मुहर्रम का पहला जुमा यौम ए अली असग़र के नाम से मौलाना ग़ुलाम अस्करी हाल में पहली बार बड़ी अक़ीदत के साथ मनाया गया,पटना से आये आलीमेदीन मौलाना मुराद रज़ा साहब किबला ने कहा यौमे अली असग़र अम्न के दुश्मनों के लिए कारी ज़र्ब है ।बच्चे वली ए खु़दा होते हैं ।इमाम की ज़ियारत करना चाहते हो तो कुरआन उठाओ उसे बोसा लो,इमाम की ज़ियारत हो जाएगी। बच्चों को करबला से लाया हुआ लिबास पहनाकर दिया गया।
साम्राजी ताकतों मुक़ाबला और नफ़रतों का मोहब्बतों से मुक़ाबला करने के लिए जनाब ए अली असग़र अ.की याद में एक अनोखे अंदाज में मनाई गई।
मौलाना जाबिर जौरासी ने कहा बच्चों की तरबियत अली असग़र की तरह और जवानों की अली अकबर की तरह करनी चाहिए और जब बराबर के हो जाए तो मुशीर व सलाह कार समझना चाहिए
इमामे जुमा मौलाना.मोहम्मद.रज़ा ज़ैदपुरी साहब की मौजूदगी में नन्हे बच्चों को करबला से लाए हुए जनाबे अली असग़र के लिबास पिन्हाकर आतंकवाद के खिलाफ मज़लूमियत का इज़हार किया गया।इस मौके पर बुज़ुर्गों नौजवानों कमसिन बच्चों और औरतों ने बड़ी तादाद में शिरकत की।अपने नन्हे मुन्नो को ऐसे पेश किया कि जरूरत पड़ने पर सय्यदा के लाल के शशमाहे के नाम पर कुरबान कर सकें ।
छठी मुहर्रम को हुआ जगह जगह मजलिसों का एहतेमाम ।
वहीं आग़ा फ़य्याज़ मियां जानी के अज़ाख़ाने में मजलिस को ख़िताब करते हुए आली जनाब मौ. एहसान अहमद साहब बनारस ने कहा – तनहाई मे भी जो अपने परवरदिगार से डरता है वही मोमिन है। मोमिन बन्दा अपने आए हुए गुस्से पर क़ाबू रखता है।उन्होंने यह भी कहा कि क्या तुम्हे नहीं मालूम तुम्हें तुम्हारा परवरदिगार देख रहा हैं ।
मजलिस से पहले डा .रज़ा मौरानवी ,सरवर अली रिज़वी ने नज़रानये अक़ीदत पेश किया । गूँजने लगी हर तरफ या हुसैन या हुसैन की सदाये । मोहसिन साहब के अज़ाख़ाना रसूलपुर में आली जनाब मौलाना सज्जाद साहब ने मजलिस को खिताब किया ।
मजलिस से पहले नसीर अन्सारी , नज़रानये अकी़दत पेश किया ।कर्बला सिविल लाइन में नमाज़े जोहरैन अदा कराने के बाद मजलिस को आली जनाब मौलाना सै० मो. मुज्तबा “मीसम” साहब ने ख़िताबकरते हुए कहा फ़र्श ए अज़ा सिखाती है ज़िन्दगी गुज़ारने का सलीका । सरवर अली रिज़वी ,अमान अब्बास ने नज़रानये अक़ीदत पेश की आखिर में कर्बला वालो के मसायब पेश किये जिसे सुनकर मोमनीन रो पड़े बादे ।
दौरे की कई मजलिसों मे अजमल किंतूरी ,बाक़र नक़वी, मुजफ्फर इमाम ,सरवर अली रिज़वी,मोनिस सरवर ,ज़ाकिर इमाम ने नज़रानये अकीदत पेश की। कामयाब, अयान अब्बास,अमान अब्बास व अयान ने नज़रानये अकीदत पेश किया । अंजुमन सदाये हुसैन व अंजुमन गुंचये अब्बासिया अंजुमन गुलामे अस्करी अंजुमन इमामिया ने नौहा ख्वानी की । जगह जगह कर्बला वालों के मसायब पेश किये गए । मजलिसों का सिलसिला आगे बढ़कर तक़ैय्या बेगम इमामबाड़ा बेगमगंज, इमामबाड़ा जनाबे ज़ैनब बेगमगंज, मरहूम शरीफुल हसन व नजमुल हसन के अज़ाख़ाना होते हुए यह सिलसिला डॉ असद अब्बास के आवास अज़ाख़ाना मरहूम अतहर हुसैन एडवोकेट के पहुंचा जहाँ मजलिस को आली जनाब मौलाना मो.रज़ा ज़ैदपुरी ने खिताब किया ।इसके बाद नेहरू नगर हैदर हाउस मरहूम एजाज साहब के अज़ाख़ाना होते हुए कंपनी बाग़ मरहूम आले मोहम्मद के अज़ाख़ाने में झूला व अलम का गश्त निकाला गया,अतहर साहब व लाइन पुरवा में नाज़िम साहब के इमामबाड़े के बाद तकीयुल हसन ज़ैदी के अज़ाख़ाने के बाद देर रात अस्करी नगर में नवाब साहब के अज़ाख़ाने में ख़त्म हुआ।मजलिस को तकीउल हसन ज़ैदी,दिलकश रिज़वी ,अहमद रज़ा व सबी हैदर ने पढ़ी। वही दूसरी तरफ तनवीर एडवोकेट के अज़ाख़ाने तकिया के बाद साजिद साहब के अजाखाने में सालाना मजलिस को अयान अब्बास ने खिताब किया, इसके बाद ज़मीर साहब के अज़ाख़ाने,मस्जिद इमामिया व मरहूम लियाकत के अज़ाख़ाने व पीर बटावन में मरहूम कब्बन साहब के अज़ाख़ाने में भी मजलिस का सिलसिला देर रत चलता रहा । हर ओर या हुसैन या हुसैन की सदाये गूँज रही है ।