हिसाम सिद्दीकी
ग्यारह फरवरी को आल इण्डिया कांग्रेस कमेटी की जनरल सेक्रेटरी प्रियंका गांधी अपने भाई पार्टी सदर राहुल गांधी और दूसरे जनरल सेक्रेटरी ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ लखनऊ आईं। इन लोगों ने एयरपोर्ट से उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के दफ्तर तक शहर में तकरीबन पन्द्रह किलोमीटर तक का रोड शो किया। इस रोड शो के दौरान कांग्रेस वर्करों के साथ लखनऊ के बाशिंदों खुसूसन मुसलमानों ने सड़क के दोनों तरफ घंटो तक खड़े होकर कांग्रेस ओहदेदारान का खैरमकदम (स्वागत) किया और इन सब की हौसला अफजाई की। लखनऊ की सड़कों पर लाखों मुसलमानों ने निकल कर यह तो बता दिया कि अगर कांग्रेस सवर्ण हिन्दू तबके के पचास फीसद यानी आधे वोट भी ले सके तो कम से कम लोक सभा एलक्शन में सौ फीसद मुसलमान कांग्रेस को वोट देने के लिए तैयार है। सवाल यह है कि क्या कहीं यकतरफा इश्क या प्यार मोहब्बत में कामयाबी मिलती है और क्या कांग्रेस को मुसलमानों की जरूरत भी है। क्या राहुल गांधी और उनकी टीम की नजरों में मुसलमानों की कोई अहमियत भी है? इस सवाल का जवाब है नही, हरगिज नहीं। राहुल दरअस्ल अपनी पार्टी की आरएसएस जेहन लाबी से घिरे हुए हैं। इस लाबी का ख्याल है कि कांग्रेस पार्टी को मुसलमानों की जानिब अपना झुकाव जाहिर नहीं करना चाहिए वर्ना हिन्दुओं में ‘बैकक्लेश’ यानी उल्टा रद्देअमल होगा और हिन्दू हम से दूर चला जाएगा। कांग्रेस की इस आरएसएस लाबी का असर राहुल गांधी पर ग्यारह फरवरी को लखनऊ में प्रियंका के रोड शो के दौरान भी उस वक्त साफ नजर आया जब प्रियंका और राहुल गांधी के साथ उनकी बस पर ब्राहमण, राजपूत, बनिया, बैकवर्ड और दलित हिन्दुओं के हर तबके के नुमाइंदे तो सवार कराए गए लेकिन किसी मुस्लिम को उसपर जगह नहीं दी गई। काफी दिनो से देखा जाता है कि ऐसे किसी मौके पर कांग्रेस कयादत को मुसलमान याद नहीं आते है। तो क्या राहुल गांधी ने मुस्लिम वोटों के बगैर ही उत्तर प्रदेश फतह करने का मंसूबा बना लिया है?
इस रोड शो के दौरान अगर कांग्रेस कयादत को बस पर किसी एक मुस्लिम लीडर को जगह देने का ख्याल आया होता तो पूरे प्रदेश में पहचाने जाने वाले सीनियर मुस्लिम लीडर जफर अली नकवी, सिराज मेहदी और बीएसपी छोड़ कर कांग्रेस में शामिल हुए नसीम उद्दीन सिद्दीकी के अलावा पच्छिमी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का झण्डा बुलंद रखने वाले इमरान मसूद भी प्रियंका के इस्तकबाल के लिए भीड़ में मौजूद थे। किसी एक को बस पर खड़ा किया जा सकता था। राहुल गांधी को शायद पता भी नहीं होगा कि शहर में उनके रोड शो के दौरान जितने भी झण्डे बैनर लगे वर्कर्स को लाकर सड़क पर खड़ा किया गया। कुंटलो वजन की गुलाब की पखुंड़ियों और फूलां का बंदोबस्त प्रदेश कांग्रेस की जानिब से किया गया उसके अस्सी फीसद से ज्यादा का खर्च उन्हीं मुसलमानों ने अपने सर उठाया था जिनके किसी एक नुमाइंदे को प्रियंका और राहुल के साथ बस पर जगह देना मुनासिब नहीं समझा गया।
उत्तर प्रदेश में मुस्लिम वोटों का हिस्सा 2011 की मर्दुशुमारी के मुताबिक साढे बीस फीसद है यानी जितनी सभी सवर्णों की कुल आबादी है उससे भी दो-तीन फीसद ज्यादा मुसलमान है, प्रदेश में तकरीबन बाइस फीसद दलित आबादी के बाद सबसे ज्यादा वोटर मुसलमान ही हैं। अगर उनके साथ कांग्रेस का इस तरह तौहीन आमेज (अनादर भरा) रवैय्या रहेगा तो कांग्रेस किन तबकों की हिमायत से दुबारा अपनी खोई हुई ताकत वापस हासिल करेगी? मतलब साफ है कि कांग्रेस लीडरान मुसलमानों के वोट तो लेना चाहते हैं लेकिन उन्हें अपने बराबर खड़ा करने या बिठाने के लिए तैयार नहीं हैं। शायद आज भी मुसलमानों का शुमार ‘मलिच्छों’ में किया जाता है। आजादी के बाद से ही मुसलमान, ब्राहमण और दलित ही कांग्रेस की अस्ल ताकत रहे है।ं दलितों को पहले कांशीराम और अब मायावती की शक्ल में अपना लीडर और बीएसपी की शक्ल में अपनी अलग पार्टी मिल गई तो वह कांग्रेस से अलग हो गए। ब्राहमण तबका 1989 से बीजेपी के साथ हो लिया लेकिन मुसलमान आज भी कभी बीएसपी तो कभी समाजवादी पार्टी का साथ भटकता फिर रहा है। अगर कांग्रेस ईमानदारी से मुसलमानों और ब्राहमणों के साथ पेश आए और इन्हीं दो तबकों को अपने साथ जोड़ ले तो बाकी वोटर इतनी पार्टियों में तकसीम हो चुके हैं कि कांग्रेस सिर्फ मुस्लिम, ब्राहमण और फ्लोटिंग वोटरों की मदद से ही एलक्शन जीत सकती है। पी एल पुनिया जैसे कांग्रेस के दलित लीडरान भी जहां खडे हो जाते हैं वह दलित वोटरों का एक बड़ा हिस्सा कांग्रेस में ले आते हैं।
राहुल गांधी को मुस्लिम मुखालिफ लाबी पूरी तरह घेरे हुए है इसके सबूत बार-बार मिले हैं। उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी है यह मुसलमान कांग्रेस के रिवायती वोटर रहे है। इसी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की हालत भी सबसे ज्यादा खराब है। इसके बावजूद राहुल गांधी ने अब तक आल इण्डिया कांग्रेस कमेटी में जितने भी सेक्रेटरी जनरल सेक्रेटरी और प्रदेशों के प्रभारी बनाए उनमें एक भी मुसलमान नहीं हैं। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के दफ्तर में कमरों के बाहर ओहदेदारों के नामों की जितनी भी प्लेटें लगी हैं उनमें सिर्फ एक अकलियती शोबे (अल्पसंख्यक विभाग) की मजबूरी में सिराज मेहदी की प्लेट लगी है। वर्ना एक भी मुस्लिम नहीं है। हां बीएसपी छोड़ कर कांग्रेस में शामिल हुए लखनऊ के बिल्डर का नाम भी खजानची की जगह पर लगा है। कहते हैं कि उन्हें इस लिए ट्रेजरार बनाया गया कि उन्होने पार्टी पर पैसे लगाने का यकीन दिलाया था। वह 2006 में भी कांग्रेस में शामिल हुए थे 2007 के असम्बली एलक्शन में उन्हें कांग्रेस ने बाराबंकी से एलक्शन भी लड़ाया था। उस वक्त प्रदेश में मायावती की सरकार बनी थी तो सरकार बनते ही वह नकुल दुबे के जरिए वापस बीएसपी में चले गए थे क्योंकि वह नकुल दुबे उनके प्रापर्टी और बिल्डिंग बनाने के कारोबार में मददगार बने थे। अब वापस आकर वह कांग्रेस के प्रदेश ट्रेजरार हैं।
दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी के सदर अखिलेश यादव और बीएसपी की मायावती हैं दोनों ने मुसलमानों को सिर्फ नारेबाजी करके अपनी तरफ कर रखा है। आज के दौर में जात-पात और धर्म की बुनियाद पर ही सियासत हो रही है। अखिलेश की अपनी बिरादरी यादवों की प्रदेश में आबादी दस फीसद से कम है। उनमें भी तकरीबन एक-तिहाई यादव बीजेपी और कुछ शिवपाल यादव के साथ हैं। मतलब यह कि महज पांच फीसद यादव आबादी की ताकत पर अखिलेश यादव साढे बीस फीसद मुसलमानों को भी अपने साथ कर लेते हैं। प्रदेश की बाइस-तेइस फीसद दलित आबादी में मायावती की अपनी जाटव बिरादरी का तनासुब तेरह से चौदह फीसद है जो पत्थर की तरह मायावती के साथ हैं। नतीजा यह कि मायावती भी अपनी बिरादरी के तेरह-चौदह फीसद वोटों में साढे बीस फीसद मुस्लिम वोटर्स को शामिल करके अपने को ताकतवर बताती है। इन मुस्लिम वोटरों की ताकत पर ही अखिलेश यादव और मायावती कदम-कदम पर कांग्रेस कयादत (नेतृत्व) की तौहीन करती रहती है। इसके बावजूद राहुल गांधी की समझ में इतनी बात नही आती कि वह अपने रिवायती हामी मुसलमानों को अपने साथ जोड़ने की कोशिश करें। यह भी एक तल्ख हकीकत है कि जिस दिन यह मैसेज चला जाए कि मुसलमानों की अक्सरियत कांग्रेस के साथ है उसी दिन ब्राहमणों के अलावा दूसरे कई सवर्ण तबके और फ्लोटिंग कहे जाने वाले वोटर कांग्रेस के साथ ही खडे़ दिखेंगे। राहुल मुसलमानों की बात खुल कर नहीं कर सकते वह आरएसएस जेहन के कांग्रेसियों के चंगुल में फंस चुके हैं।
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