देश के लिए शर्मिंदगी का सबब बना सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड का भर्ष्टाचार से लिप्त चेयरमैन ज़ुफ़र फारूकी, सियासी हरकतें खाऊ कमाऊ नीति और साख के असर का नतीजा,आज तक नही बन पाया बाबरी मस्जिद के एवज में मस्जिद का नक्शा,सपा और बसपा के इशारे पर सिर्फ होता रहा टाल मटोल,
तहलका टुडे टीम
अयोध्या:अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर बन रहे राम मंदिर के उद्घाटन की भव्य तैयारियां जोरो पर हैं। वही राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले के आधार पर मुसलमानों को अयोध्या के धन्नीपुर में दी गई जमीन पर मस्जिद का निर्माण का शुरू ना होना देश के लिए शर्मिंदगी का सबब बनता जा रहा है, सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के भर्ष्टाचार में लिप्त चेयरमैन ज़ुफ़र फारूकी की सियासी हरकतें खाऊ कमाऊ नीति और भ्रष्टाचारी साख के असर नतीजा है कि अभी तक मस्जिद का नक्शा नही बन पाया है,लोगो का कहना है कि सपा और बसपा के आलाकमान के इशारे पर सिर्फ टाल मटोल कर देश की जनता को बेवकूफ बनाकर विवाद बनाये हुए ये महानुभाव।
आपको बता दे उच्चतम न्यायालय ने नौ नवंबर 2019 को राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में अपना फैसला सुनाते हुए विवादित स्थल पर राम मंदिर का निर्माण कराने और मुसलमानों को अयोध्या में किसी प्रमुख स्थान पर मस्जिद निर्माण के लिए पांच एकड़ जमीन देने का आदेश दिया था. राम मंदिर का निर्माण जोरों पर है और अगले साल 22 जनवरी को मंदिर में विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की जोरदार तैयारी की जा रही है.
सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड ने इस जमीन पर मस्जिद के अलावा इंडो इस्लामिक रिसर्च सेंटर, एक अस्पताल, कम्युनिटी किचन, पुस्तकालय और म्यूजियम बनाने का फैसला किया था। इसके लिए इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन नामक ट्रस्ट बनाया गया है जो मस्जिद तथा अन्य इमारतों का निर्माण कराएगा। इसके लिए मुख्यतः जन सहयोग से धन जुटाने का फैसला लिया था।
इस ट्रस्ट का स्वयम्भू अध्य्क्ष सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के चेयरमैन ज़ुफर फारूकी खुद बन गया।जो बोर्ड को दीमक की तरह चाट गया।
इसी आड़ में 4 साल में आपको ये भी बता दे सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड मे खुलेआम नियम कानून एक्ट की धज्जियां उड़ाते हुए बाकायदा रसीद देकर धन उगाही चरम पर है,हर एप्लिकेशन से लेकर मुतवल्ली बनने तक फाइल की फ़ोटो कॉपी ,मुआयना के चार्ज फिक्स है,सरकार की नाक के नीचे माल एवेन्यू पे स्थित कार्यालय पर ये वसूली का मंज़र रोज़ देखा जा सकता है। भरष्टचार निवारण संघटन आंख मूंदे है।
सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की तरह चलाने वाले चेयरमैन ज़ुफर फारूकी भाजपा सरकार और शासन की मीटिंग में भी जाने से परहेज़ करते है।इनके खिलाफ सारी जांचे ठंडे बस्ते में है,भर्ष्टाचार की ताकत के आगे सारे तर्क बेईमान लगते है। सेव वक़्फ़ इंडिया कई बार वक़्फ़ बोर्ड के भरष्टचार धन उगाही वक़्फ़ इंस्पेक्टर की संपत्तियों की जांच के लिए केंद्र और प्रदेश सरकार के लिखने के बाद भो इनकी सेटिंग के आगे सब बराबर हो जाता है,वक़्फ़ को बचाने के बजाय बरबाद और खुर्द बुर्द करने का जुगाड़ सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड में बड़ी रकम लेकर बताया जाना आम बात है और भु माफियाओं की मदद का अड्डा बना है।
बाराबंकी में रामसनेही घाट की मस्जिद तोड़ कर खत्म कर दी गई आज तक सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड कुछ नही कर पाया लचर पैरवी और दिखावा करने और भड़काऊ बयान की वजह से बाबरी मस्जिद टूट गयी,काशी मस्जिद का मामला सामने है वही मथुरा की मस्जिद का मामला तूल पकड़े है।वही कई सैकैडो करोड़ो की वक़्फ़ संपत्तियां खुर्द बुर्द कर दी गयी,सपा और बसपा के गुंडों को बड़े बड़े औक़ाफ़ का मुतवल्ली बनाकर उसको खुर्द बुर्द करने के लिए छुट्टा बैल की तरह वक़्फ़ की जायदादों को चरने के लिए छोड़ दिया गया,गाज़ियाबाद हापुड़ लखनऊ बाराबंकी के कीमती वक़्फ़ सिर्फ पेपरों में रह गए।
अवाम को और शासन प्रशासन और सियासत का रुख मस्जिदो की तरफ घूमा कर सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को खोखला बना दिया।
जब चारो तरफ मंदिर के उद्धघाटन के बाद मस्जिद निर्माण पर मीडिया पर सवाल खड़े हुए तो 4 साल बाद प्रकट हुए
ट्रस्ट के मुख्य न्यासी और उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जुफर फारूकी ने मीडिया में बताया, ‘अभी तक यही योजना है कि धन्नीपुर गांव में दी गई पांच एकड़ जमीन पर मस्जिद का निर्माण अगले साल मई में शुरू हो जाएगा.’
फारूकी का कहना है ‘मस्जिद का अंतिम डिजाइन फरवरी के मध्य तक मिल जाने की संभावना है. उसके बाद उसे प्रशासनिक मंजूरी के लिए प्रस्तुत कर दिया जाएगा. फरवरी में ही परिसर में ‘साइट ऑफिस’ खोल दिया जाएगा. उम्मीद है कि हम मई तक मस्जिद का निर्माण शुरू करने की स्थिति में आ जाएंगे.’
क्यों हो रही देरी?
फारूकी ने कहा कि कुछ वित्तीय बाधाओं के साथ-साथ मस्जिद के डिजाइन में आमूल-चूल बदलाव की वजह से नए सिरे से औपचारिकताएं शुरू किए जाने के कारण मस्जिद के निर्माण में देर हो रही है.
उन्होंने कहा कि भारत में मस्जिद का नाम आते ही लोगों के दिमाग में एक परंपरागत मस्जिद की आकृति उभरती है और इसी वजह से ट्रस्ट द्वारा तैयार की गई मस्जिद के डिजाइन की उतनी स्वीकार्यता नहीं थी, नतीजतन ट्रस्ट ने मस्जिद का नए सिरे से डिजाइन तैयार कराया है और अब यह मस्जिद 15 हजार वर्ग फुट के बजाय करीब 40 हजार वर्ग फुट में होगी.
गांव गांव मांगेगे मंदिर की तर्ज पर ज़ुफर फारूकी चंदा, कौन देगा सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को बर्बाद करने दीमक के ट्रस्ट को चंदा
वित्तीय सहायता के लिए चंदा इकट्ठा करने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर फारूकी ने कहा,‘‘ अभी हमने जिलों में जाने के कार्यक्रम को फिलहाल रोक रखा है. अभी ट्रस्ट से जुड़ी मुंबई की टीम इस मामले पर काम कर रही है और उम्मीद है कि एक-डेढ़ महीने में ट्रस्ट के पास पर्याप्त धन आ जाएगा.
उन्होंने कहा, ‘‘ दरअसल चंदा इकट्ठा करना बहुत बड़ा काम होता है और इसकी देखभाल कर पाना बहुत मुश्किल होता है. हम कोशिश यह कर रहे हैं कि कुछ राज्यों में अपने लोगों को जिम्मेदार बना दें और वे परियोजना के लिए वित्त पोषण हासिल करने के लिए चुनिंदा तरीके से काम करें, जिसमें पारदर्शिता और जवाबदेही दोनों हो.’
मौजूदा वक्त में ट्रस्ट के पास धन की तंगी के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘नहीं, नहीं अब यह बात नहीं कह सकते हैं. अब परियोजना के डिजाइन में बदलाव होने की वजह से देर हो रही है.’’
ट्रस्ट के सचिव अतहर हुसैन ने बताया कि सरकार द्वारा दी गई जमीन पर मस्जिद के साथ-साथ एक अस्पताल, पुस्तकालय, सामुदायिक रसोई और एक संग्रहालय का निर्माण कराया जाएगा.
नाम भी तय कर लिया और मस्जिद के निर्माण के लिए मुम्बई के समूह से बात भी कर ली
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ,जामियातुल हिन्द,मजलिस ओलमाये हिन्द,सेव वक़्फ़ इंडिया ट्रस्ट और बड़े उलेमा को नज़र अंदाज़ कर मस्जिद-ए-हरम के इमाम को बुलाने की खबर पर कन्नी काटते हुए कहा कि अभी तक इरादा नहीं उन्होंने कहा कि मस्जिद का नाम ‘मोहम्मद बिन अब्दुल्लाह अयोध्या मस्जिद’ होगा और मुंबई के एक समूह से बात हुई है उसे निर्माण समिति का प्रभारी बनाया गया है. सबसे पहले मस्जिद ही बनाई जाएगी.
मस्जिद का निर्माण कब तक पूरा हो जाएगा, हुसैन ने इस सवाल पर कहा कि यह धन की उपलब्धता पर निर्भर करेगा.
मस्जिद के शिलान्यास की डेट अब क्यों तय नहीं?
अयोध्या के धन्नीपुर में बन रही मस्जिद के निर्माण में फिलहाल अब कोई बाधा नहीं है। लेकिन वक्फ बोर्ड द्वारा गठित मस्जिद ट्रस इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन जिस डिजाइन को मान्यता देगा, वो अब तक फाइनल नहीं हो पाई। मस्जिद निर्माण में देरी की प्रमुख वजह यही है। अगर मस्जिद का डिजाइन तैयार भी हो जाता है, तो भी ट्रस्ट को पहले विकास प्राधिकरण से नक्शा पास कराना होगा। जिसके बाद धन्नीपुर में मस्जिद का निर्माण शुरू हो पाएगा।
वहीं दूसरी ओर अयोध्या सिटी से करीब 20 किलोमीटर की दूसरी पर स्थित धन्नीपुर गांव में अब तक मस्जिद निर्माण का कार्य शुरू तक नहीं हो पाया है। हालांकि गठित ट्रस्ट ने इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ने मस्चिद का नाम तो रख दिया है, लेकिन मस्जिद निर्माण प्रक्रिया के उस चरण को पार नहीं किया, जब फाउंडेशन की तिथि का ऐलान किया जा सके। ऐसे में सवाल ये है कि जब समय से मस्जिद ट्रस्ट को यूपी सरकार ने जमीन उपलब्ध करवा दी तो अब तक निर्माण शुरू क्यों नहीं हो पाया?
जुफर फारूकी के मुताबिक मस्जिद ट्रस्ट ने अब नए तरीके से एक डिजाइन तैयार करवाया है। अब मस्जिद का पहले की डिजाइन की तुलना में अधिक होगा। फारूकी के मुताबिक अब अयोध्या में मस्जिद 40 हजार वर्ग फुट में बनेगी। ऐसे में नई डिजाइन को अब कानूनी तौर पर पहले से तय मानकों पर भी खरा उतरना है।