तहलका टुडे टीम
बाराबंकी। महात्मा गांधी ने देश को स्वदेशी और स्वावलम्बन से जोड़कर आत्मनिर्भरता का मंत्र दिया। वह मनुष्य के जीवन में आत्मनिर्भरता को बहुत जरूरी मानते थे। आगे चलकर आत्मनिर्भर भारतीयों ने ही दासता की जंजीरों से देश को मुक्त कराया।
यह बात गांधी भवन में श्री गांधी आश्रम शताब्दी वर्ष के अन्र्तगत गांधी जयन्ती समारोह ट्रस्ट द्वारा आयोजित ‘गांधी के नजी’रिये का आत्मनिर्भर भारत’ विषयक संगोष्ठी के मुख्य अतिथि गांधीवादी चिन्तक और श्री गांधी गांधी निधि, गांधी भवन, लखनऊ के सचिव लालबहादुर राय ने कही।
राय ने कहा कि गांधी की प्रासंगिकता सर्वविदित है। जीवन का कोई ऐसा हिस्सा नहीं है जहां गांधी के विचार प्रासंगिक नहीं हैं। आज देश का प्रत्येक नागरिक गांधी के विचारों और दर्शन से लाभ उठाकर देश को आत्मनिर्भर बना सकता है।
इस मौके पर लब्ध प्रतिष्ठ शायर एवं शिक्षाविद् डाॅ. अंजुम बाराबंकवी को पूर्व मंत्री अरविन्द कुमार सिंह गोप ने सामाजिक सहभागिता सम्मान से विभूषित किया। इस दौरान अतिथियों ने महात्मा गांधी एवं आचार्य जेबी कृपलानी के चित्र पर माल्र्यापण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
पूर्व कैबिनेट मंत्री अरविंद कुमार सिंह गोप ने श्री गांधी आश्रम शताब्दी वर्ष पर गांधी के विचारो को आत्मसात करते हुए चरखा चलाकर सूत कातते हुए स्वदेशी आन्दोलन को गति प्रदान की।
सभा में पूर्व कैबिनेट मंत्री अरविन्द कुमार ंिसह गोप ने कहा कि महात्मा गांधी भारत को आत्मनिर्भर देखना चाहते थे। उन्होंने माना था कि किसान आत्मनिर्भर भारत का आधार है। परंतु केन्द्र सरकार की नीतियों और पूंजीपतियों ने देश की आत्मनिर्भरता पर कुठाराघात किया है।
श्री गांधी आश्रम शताब्दी समिति के संयोजक राजनाथ शर्मा ने कहा कि स्वदेशी अपनाकर आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार करने का यह बिल्कुल सही समय है। महामारी की चुनौतियों ने आत्मनिर्भरता के महत्व को जन-जन को समझाया है। युवाओं व बच्चों के हाथों में स्वदेशी का हथियार देकर हम आर्थिक चुनौतियों पर जीत हासिल कर सकते हैं।
शिक्षाविद् डाॅ. अंजुम बाराबंकवी ने कहा कि आत्मनिर्भरता भारत की सदियों पुरानी पहचान है। ये हमारे लिए नई चीज नहीं है। हमें इसे बरकरार रखना है।
समाजसेवी रिज़वान रज़ा ने कहा कि श्री गांधी आश्रम शताब्दी पर संपूर्ण स्वदेशी की थीम पर आत्मनिर्भर भारत अभियान शुरू किया जा रहा है। जिसके अन्र्तगत सम्पूर्ण भारत में यात्रा निकालकर लोगो को स्वदेशी आन्दोलन से जोड़ा जाएगा।
सभा की अध्यक्षता समाजसेवी हाजी वासिक रफीक वारसी ने की। सभा का संचालन पाटेश्वरी प्रसाद ने किया।
इस मौके पर प्रमुख रूप से शाहिद नसीम सिद्दीकी, अशोक शुक्ला, सलाउद्दीन किदवई, सै. तौकीर कर्रार, विनय कुमार सिंह, राकेश त्रिवेदी, फरहत उल्ला, कृष्ण कुमार द्विवेदी, अशोक तिवारी, इकबाल अशरफ किदवई, मृत्युंजय शर्मा, सरदार राजा सिंह, नीरज दूबे, सत्यवान वर्मा, संतोष शुक्ला, अशोक जायसवाल, अनुपम सिंह, विजय कुमार सिंह, संजय सिंह सहित कई लोग मौजूद रहे।