तहलका टुडे टीम
लखनऊ: देश की तरक्की के लिए इल्म सीखना ज़रूरी का पैगाम लेकर कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक 1200 मकतबों के बोर्ड तनज़ीमुल मकातिब अब कोरोना की वबा में पूरी तरह से हाइटेक हो गया यहाँ बेटो के लिए जामिया इमामिया और बेटियों को अच्छी तरबियत और संस्कार के साथ उच्च शिक्षा देने के लिये जामिअतुज़्ज़हरा के क्लासेज़ भी ऑन लाइन चल रहे है।
भारत सरकार की गाइड लाइन्स के अनुसार कोरोना वायरस के कारण देश भर के सरकारी और ग़ैरसरकारी स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय और मदरसो में छुट्टी है।
इन हालात को देखते हुए ऑन लाइन के तहत जामिया इमामिया और जामिअतुज़्ज़हरा तनज़ीमुल मकातिब के छात्र छात्राएँ भी अपने घरों में है।
इनके उज्ज्वल भविष्य और समय का सही उपयोग करने के लिए तनज़ीमुल मकातिब के महासचिव हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन अलहाज मौलाना सय्यद सफ़ी हैदर साहब क़िबला के निर्देशानुसार 16 शव्वालुल मुकर्रम से शिक्षा और शिक्षण कार्य जारी है।
प्रभारी जामिया इमामिया मौलाना सय्यद मुमताज़ जाफ़र नक़वी और प्रबन्धक जामिअतुज़्ज़हरा तनज़ीमुल मकातिब मौलाना सय्यद तहज़ीबुल हसन के अनुसार,मदरसे के नियमानुसार,शिक्षक छात्र छात्राओं को ऑनलाइन शिक्षा दे रहे हैं और ये सिलसिला मदरसा खुलने की सरकारी अनुमति तक जारी रहेगा।
तनज़ीमुल मकातिब पूरी दुनिया का सबसे बड़ा भारत का एक राष्ट्रीय शिया धार्मिक संगठन है जो अपनी शैक्षिक और कल्याणकारी गतिविधियों से जाना जाता है।
जिसके देश भर में 1200 से अधिक स्कूल(मकतब) है।
उर्दू और हिंदी में मासिक पत्रिका के साथ साथ नवीनतम तकनीक का उपयोग करके ऑनलाइन स्कूल(ई-मकतब)और ई-शॉप जिसमे पाठ्य पुस्तकों के अलावा अन्य पुस्तकें और जन्म से लेकर मृत्यु तक सभी आवश्यक धार्मिक कार्यो की जानकारी के साथ हर शांति,बीमारी से शिफा और तरक्की और बुलंदी पर पहुचने की दुआओ की किताबो और डायरी का भी प्रकाशन करता है जो ऑन लाइन भी उपलब्ध रहती है।
कोरोना की वबा और लॉक डाउन में मिशन”अली वालो कोई भूखा न रहने पाए”में हज़ारो लोगो को पूरे देश मे ढूंढ कर राशन पहुचाने का काम किया गया।
देश मे शांति, सब्र ,रूहानियत की तालीम देने वाला इस इदारे की शुरुआत 1968 में ख़तीबे आज़म मौलाना सय्यद ग़ुलाम अस्करी ने की थी।
आज भी उनकी लखनऊ के बिजनौर में बनी कब्र पर स्टूडेंट जाकर दुआ भी करते है और इल्म सीखने में कामयाबी भी पाते है।