तहलका टुडे टीम
नई दिल्ली-दिल्ली की एक अदालत ने निजामुद्दीन मरकज प्रमुख मौलाना साद की मां की मांग पर पुलिस को निर्देश दिया है कि वह मरकज से जुड़े उनके रिहायशी हिस्से को आज से पांच दिनों के बाद खोल दें। चीफ मेट्रोपोलिटन मैजिस्ट्रेट गुरमोहिना कौर ने साद की 71 साल की मां खालिदा की याचिका पर यह आदेश सुनाया। अदालत ने कहा कि वह परिसर को खोले जाने का निर्देश देने से पहले जांच एजेंसियों को परिसर की जांच करने का एक और मौका दे रही है। वे आदेश मिलने के बाद पांच दिनों के भीतर संबंधित परिसर का इंस्पेक्शन कर सकते हैं। इसके बाद वे आवेदक को उस एरिये की चाबी सौंप दे।
अदालत ने अपने आदेश में कहा, देश के हर नागरिक को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और आजादी का अधिकार मिला है और अपनी रेजिडेंशल प्रॉपर्टी पाने का हक भी इन पवित्र अधिकारों के में से एक माना जाएगा। अदालत ने यह भी कहा कि वह प्रॉपर्टी पर मालिकाना हक तय करने का अधिकार नहीं रखती। लेकिन यहां सिर्फ रिहायशी परिसर का खोले जाने की मांग की गई है। इसी निर्देश के साथ अदालत ने याचिकाकर्ता से अंडरटेकिंग भी ली कि वह और उनके परिवारवाले कभी जांच में बाधा नहीं डालेंगे। संबंधित परिसर का इस्तेमाल सिर्फ रहने के मकसद के लिए होगा । वे मरकज और उससे जुड़े हिस्से में किसी भी वजह से नहीं जाएंगे।
अदालत ने यह आदेश सुनाते हुए गौर किया कि रिहायशी हिस्से की चाबी संबंधित पुलिस अधिकारियों के पास है। ऐसा कोई आदेश या कानूनी प्रावधान पेश नहीं किया गया जिसके आधार पर 1 अप्रैल से उस परिसर को बंद रखा गया है। यहां तक की एसडीएम ने भी अपने जवाब में कहा है कि उनके दफ्तर ने कभी संबंधित परिसर को सील रखने का निर्देश जारी नहीं किया। इस बात पर भी गौर किया कि पहले जो जवाब दिए गए, उनमें कहा गया था कि सैनेटाइजेशन के बाद एसडीएम के निर्देश पर परिसर को लॉक कर दिया गया और परिसर की चाबी पुलिस को दे दी गई, क्योंकि उस वक्त कई एजेंसियां परिसर का निरीक्षण कर रही थीं। पुलिस ने अपने किसी जवाब में यह नहीं कहा कि रिहायशी हिस्सा कथित अपराध से जुड़ा है या उसे कभी एजेंसियों ने साक्ष्य आदि जमा करने के लिर सुरक्षित रखने के लिए कहा हो।