तहलका टुडे टीम/रिज़वान मुस्तफ़ा
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस एस ए बोबडे (Justice S A Bobade) की अध्यक्षता वाली बेंच ने जजों को लेकर मिल रही शिकायतों को लेकर टिप्पणी की. इस दौरान बेंच ने कहा कि जज कई झूठे मामलों और शिकायतों का सामना कर रहे हैं. ये शिकायतें सामान्य सिंड्रोम की तरह हैं, जिसमें जज के तौर पर नियुक्त कोई व्यक्ति, सुप्रीम कोर्ट का जज या मुख्य न्यायाधीश ही क्यों न हो निशाना बनाया जा सकता है.
एक मामले में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (High Court) को नोटिस देने से पहले चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) ने कहा कि हम अपने इस सिस्टम में इस चलन से परिचित हैं, ये हर रोज़ होता है. जब कोई कुछ भी हासिल करने वाला होता है, तभी अचानक 20 साल पहले की कोई बात निकलकर सामने आ जाती है और शिकायत दर्ज करा दी जाती है.
क्या है पूरा मामला?
मुख्य न्यायाधीश की ये टिप्पणी एक महिला न्यायिक अधिकारी द्वारा ज़िला अदालत के एक जज पर लगाए गए यौन उत्पीड़न की सुनवाई के बाद आई. बेंच ने सुनवाई के बाद मामले में अनुशासनात्मक जांच पर रोक लगा दी, साथ ही मध्य प्रदेश के रजिस्ट्रार जनरल से इस मामले में जवाब भी देने को कहा है.
मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमणियन की पीठ ज़िला जज की याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
ऐसे आरोप पदोन्नति के वक्त चलन
इस दौरान बेंच ने कहा कि जब कोई हाईकोर्ट में जज के पद पर पदोन्नति के लिये ‘विचार के दायरे ’में आता है तो इस तरह के आरोप लगना ‘अब एक चलन ’ बन गया है’.जज का नाम हाईकोर्ट में पदोन्नति के पद पर था. जज के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका खारिज हो गई थी, हालांकि मामला आंतरिक शिकायत समिति से जांच कराने के लिए भेज दिया गया था.
क्या था आरोप?
अधीनस्थ न्यायिक सेवा की एक महिला अधिकारी ने जज के खिलाफ कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. मामले में आंतरिक शिकायत समिति को भी नोटिस जारी किया गया है. याचिका के मुताबिक मामले में कोई साक्ष्य न होने न मिलने के स्पष्ट निर्देश के बाद शिकायत समिति ने याचिका कर्ता के साथ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की.