कृष्ण कुमार द्विवेदी (राजू भैया)-9415156670
राष्ट्रपति भवन परिसर में गुरुवार को राजनाथ सिंह ने 17वीं लोकसभा के तहत बनी मोदी सरकार में बतौर कैबिनेट मंत्री शपथ ली. वे मंत्रियों में प्रधानमंत्री मोदी के बाद शपथ लेने वालों के क्रम में दूसरे नंबर पर रहे. भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) के कद्दावर नेताओं में केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह का भी नाम आता है. मौजूदा समय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के बाद पार्टी में सबसे पावरफुल और जनाधार वाले नेता माने जाते हैं.
संयमी एवं मृदुभाषी तथा संबंधों को महत्व देने वाले उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं देश के पूर्व गृहमंत्री राजनाथ सिंह जी ने आज एक बार फिर केंद्र की मोदी सरकार2 में मंत्री पद की शपथ ली। श्री सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के के द्वारा 15वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ को ग्रहण करने के बाद शपथ ली। इसके साथ ही यह जाहिर हो गया पूर्व की मोदी सरकार 1 में जिस प्रकार राजनाथ सिंह मोदी के बाद नंबर दो की हैसियत में थे उसी प्रकार मोदी सरकार 2 में भी राजनाथ सिंह जी की हैसियत नंबर दो की बनी रहेगी।
राजनाथ सिंह का दुसरी बार मोदी सरकार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्या उपयोग करेंगे इसे लेकर उत्तर भारत ही नहीं बल्कि पूरे देश की निगाहें लगी हुई थी।
अभी भी लखनऊ हो या फिर श्री सिंह का पुराना विधानसभा क्षेत्र हैदरगढ़ (बाराबंकी) यहां भी उनके चाहने वाले इस बात पर चर्चा कर रहे हैं! कि श्री सिंह को गृह मंत्री बनाया जाएगा कि नहीं? वैसे चर्चा में यही कहा जा रहा है कि जिस प्रकार से आज राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री के बाद शपथ ली है उससे यह साफ हो चला है कि श्री सिंह देश के अगले गृहमंत्री होंगे।
सनद हो कि राजनाथ सिंह जी के बारे में पूर्व की मोदी सरकार के कार्यकाल में कई बार यह चर्चा सुनी गई कि उन्हें खुलकर काम करने नहीं दिया जा रहा है? लेकिन श्री सिंह ने ऐसी चर्चाओं पर न तो कभी ध्यान दिया और ना ही इसे कभी तवज्जो दी।
ज्ञात हो कि राजनाथ सिंह बहुत ही गंभीर एवं सरल व्यवहार वाले राजनेता हैं ।उनके लिए संगठन ज्यादा महत्वपूर्ण हमेशा रहता आया है। प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के दौरान उन्हें भले ही कम समय मिला हो लेकिन कई अच्छे काम उनकी याद दिला जाते हैं। हैदरगढ़ के विधायक रहते हुए उनके द्वारा किया गया विकास आज भी यहां मील का पत्थर है।
राजनाथ सिंह के राजनीतिक कद का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी के बाद ऐसे नेता हैं जो पार्टी की कमान दो बार संभाल चुके हैं. ऐसे में 2019 के लोकसभा चुनाव में लोगों की नजर राजनाथ सिंह के ऊपर भी थी.
उत्तर प्रदेश की लखनऊ सीट पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) प्रत्याशी और गृह मंत्री राजनाथ सिंह गठबंधन की तरफ से लड़ रहीं सपा प्रत्याशी पूनम सिन्हा को करीब तीन लाख 40 हजार वोटों से हराकर संसद पहुंचे हैं. यहाँ धर्म मज़हब की सियासत को ताक पर रखकर मौलाना कल्बे जवाद नक़वी ने खुलकर राजनाथ सिंह का साथ दिया,और खुलेआम दुआये की जिसकी विरोधियो ने जमकर आलोचना भी की थी।
बनारस के पास चंदौली जिले में जन्मे राजनाथ सिंह एक कुशल प्रशासक के रूप में जाने जाते रहे हैं. राजनाथ सियासत में कदम रखने से पहले मिर्जापुर के कॉलेज में प्रोफेसर रहे हैं. लेकिन बचपन से संघ के आंगन में पले बढ़े हैं.
बीजेपी के मातृ संगठन के रूप में मशहूर आरएसएस से राजनाथ की करीबी जगजाहिर है. आरएसएस के साथ उनके बेहतर रिश्ते का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आडवाणी के जिन्ना प्रकरण के बाद संघ ने राजनाथ को ही पार्टी के अध्यक्ष के रूप में जिम्मेदारी सौंपी थी.
इसके बाद दूसरी बार बीजेपी की कमान राजनाथ सिंह ने तब संभाली थी जब पूर्ती मामले में नितिन गडकरी का नाम सामने आया था. दिलचस्प बात ये है कि राजनाथ सिंह ने अध्यक्षकाल में ही 2013 में प्रधानमंत्री पद के लिए नरेंद्र मोदी के नाम पर मुहर लगी थी. हालांकि पार्टी के कई नेता इस बात पर सहमत नहीं थे, लेकिन राजनाथ सिंह ने आगे आकर उनके नाम को बढ़ाया है.
10 जुलाई 1951 को जन्मे राजनाथ ने गोरखपुर विश्वविद्यालय से भौतिकी विषय में प्रोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की है. उसके बाद 1971 में केबी डिग्री कॉलेज में वह प्रोफेसर नियुक्त किए गए. इमरजेंसी के दौरान कई महीनों तक जेल में बंद रहने वाले राजनाथ सिंह को 1975 में जनसंघ ने मिर्जापुर जिले का अध्यक्ष बनाया.
उत्तर प्रदेश में शिक्षा मंत्री के तौर पर किए गए कामों को लेकर आज भी राजनाथ सिंह का फैसला काबिल-ए-तारीफ है. 1991 में उन्होंने बतौर शिक्षा मंत्री एंटी-कॉपिंग एक्ट लागू करवाया था. साथ ही वैदिक गणित को पाठ्यक्रम में भी शामिल करवाने का श्रेय उन्हीं को जाता है.
राजनाथ सिंह 20 अक्टूबर 2000 में राज्य के मुख्यमंत्री बने. हालांकि उनका कार्यकाल 2 साल से भी कम समय के लिए रहा. केंद्र में जब वाजपेयी की अगुवाई वाली एनडीए की सरकार बनी तब राजनाथ सिंह को कृषि मंत्री बनाया गया था. इसके बाद 2014 में नरेंद्र मोदी की सरकार बनी तो देश के गृहमंत्री बने. वे मोदी कैबिनेट में दूसरे नंबर के नेता हैं.
गौरतलब यह भी हो कि आज राजनाथ सिंह प्रधानमंत्री मोदी एवं अमित शाह के मध्य बैठकर के त्रिमूर्ति के रूप में नजर आए।
इन सब मे ये भी चर्चा गरम है की आफताबे मिल्लत मौलाना कल्बे जवाद नक़वी द्वारा खुले आम जीत के लिए और उनकी तरक्की के लिए की गई दुआओ का असर आज विरोधियो ने फिर देख कर अपना मुहँ पीट लिया