….✍सुशील कुमार सिंह
यूपी के बाराबंकी जिले के कोठी थाने का मु०अ०सं० – 41/2018 को लेकर लाइन हाजिर दारोगा अनिल द्विवेदी को हाई कोर्ट ने सवैतनिक बहाल करने का आदेश आज पारित किया।
पिछले 05 अप्रैल 2018 को बाराबंकी जिले के ही कोठी थाने में तैनात रहें दारोगा अनिल द्विवेदी का “मेरी सिस्टम से पूरी तरह टूट चुकी हैं आस्था” जैसे कठोर टिप्पणी, तेंवर और पद से इस्तीफा देने की खबर ने महकमें में खदबदाहट मचाकर रख दिया था। साथ ही ASP(S) बाराबंकी शशिकांत तिवारी के किरदार के साथ ही साथ पूरे सिस्टम को को सवालों के घेरे में ला खड़ा कर दिया था! तब यहां पुलिस अधीक्षक बाराबंकी वीपी श्रीवास्तव थे।
कोठी थाना में दर्ज मुअसं – 41/2018 विवेचक अनिल द्विवेदी ने विवेचना में आरोप असत्य पाए जाने पर मुकदमें में फाईनल रिपोर्ट लगा दिया। जिससे खिन्न वादी मुकदमा ने दारोगा पर 5 लाख रु० लेकर गलत कार्रवाई का आरोप जड़ दिया। मामले की जांच अपर पुलिस अधीक्षक (उत्तरी) बाराबंकी दिगंबर कुशवाहा ने की और जांच में लगायें गये आरोप को फर्जी पाया। *लेकिन* उसी मामले की जांच एएसपी दक्षिणी शशिकांत तिवारी ने करके विवेचक अनिल द्विवेदी के खिलाफ रिपोर्ट दी? जिस पर पुलिस अधीक्षक ने दरोगा को लाइन हाजिर कर दिया था।
बेगुनाह-ए-लज्जत इस कार्रवाई से आहत दारोगा ने पद -नौकरी से इस्तीफा का पत्र एसपी को दिया था। इस्तीफे में लिखा शब्द “थक गया हूं, हारा नहीं।” यह शब्द बयां कर रहा था कि “एक छोटा सा कर्मचारी करोड़पति वादी मुकदमा अरुण मिश्रा के लालच व भय में नहीं आया और न किसी दबाव में।”
लेकिन ऐसे कर्मठ -ईमानदार मातहत का हौसला बढ़ाने बजाय उच्चाधिकारी का यह कहना था कि “ये कहों कि सस्पेंड नहीं हुए लाइन हाजिर हुए हों।” अधिकारी के यह शब्द किसी मामले की जांच में धांच-पांच और संदेह को तो पैदा करता ही हैं और कई बार यह संदेह सत्य भी साबित होता दिखा हैं।
अब काबिल-ए-गौर…. दोनों ASP के रिपोर्ट में विरोधाभाष। अपर पुलिस अधीक्षक (उत्तरी) दिगंबर कुशवाहा की जांच में दरोगा के विरूद्ध आरोप फर्जी, तो वहीं उसी मामले की जांच में एएसपी (दक्षिणी) शशिकांत तिवारी ने दरोगा के खिलाफ रिपोर्ट दी?
आपको बता दें कि दरोगा अनिल द्विवेदी एएसपी (दक्षिणी) के कार्य क्षेत्राधिकार अंतर्गत कोठी थाना में लाईन हाजिर के आदेश तक तैनात थे। दरोगा के विरूद्ध रिपोर्ट देने के पीछे एएसपी श्री तिवारी की आखिर क्या मंशा थी? आज भी रहस्य बना हैं।
पूरा मामला कुछ यू था। कोठी थाना क्षेत्र के ग्राम टिकैतनपुरवाा निवासी अरुण कुमार मिश्रा की पत्नी रेनू मिश्रा ने मुकदमा दर्ज कराया था कि उसके पुत्र अभिषेक पर रिश्तेदार राहुल मिश्रा ने ब्लेड से हमला किया हैं। विवेचक अनिल द्विवेदी ने विवेचना में आरोप असत्य पाए जाने पर मुकदमे में अंतिम रिपोर्ट (FR) लगाकर वरिष्ठ अधिकारी को प्रेषित कर दिया। अपर पुलिस अधीक्षक (उत्तरी) बाराबंकी दिगंबर कुशवाहा ने भी अपनी जांच में आरोप फर्जी बताए।
इसी बीच रेनू मिश्रा पक्ष से दारोगा पर पांच लाख रुपये लेकर गलत कार्रवाई का आरोप लगा दिया। जिस पर मामले की जांच एएसपी दक्षिणी से कराई गई। एएसपी दक्षिणी शशिकांत तिवारी ने विवेचक के खिलाफ रिपोर्ट दे दी। जिस पर पुलिस अधीक्षक ने उन्हे लाइन हाजिर कर दिया।
कौन_हैं_अरुण_मिश्रा
जिसके दबाव में दारोगा पर कार्रवाई हुई थी। बताया जाता हैं कि अरुण मिश्रा दिल्ली में किसी आइएएस अधिकारी का ड्राइवर हैं। राहुल मिश्रा उसका रिश्तेदार हैं। जमीन का विवाद में परेशान करने की नीयत से फर्जी मुकदमा दर्ज कराया था।
वादी मुकदमा ने की गालीगलौज
भुक्तभोगी दारोगा का कहना था कि उसने निष्पक्ष होकर जांच व कार्रवाई की। जिसके बदले में अरुण मिश्रा ने मुझे फोन पर गालियां सुनाईं और मेरे ऊपर विभागीय भी कार्रवाई करवा दी।
किराये के मकान में रहता और पुरानी मोटर साइकिल से चलता हैं दरोगा
- मूलरूप से यूपी के प्रतापगढ़ जिले के रहने वाले प्रताडऩा से आजिज दारोगा अनिल द्विवेदी की मनोदशा इस कदर प्रभावित हुई कि फोन पर बात करते हुए वह रो पड़े। कहा, क्या “सत्यपथ” पर चलने वालों का कोई साथ नहीं देता। यकीन किसी को हो या न हो, यह सच हैं कि दारोगा की नौकरी के बाद भी किराए के मकान में परिवार रहता हैं, पुरानी मोटरसाइकिल से चलता हूं। हर रोज मेरी धर्म-पत्नी ड्यूटी पर जाते समय यही कहती हैं, कि कुछ भी करना किसी बेगुनाह को मत सताना। क्योंकि इसका असर बच्चों पर आया तो, कभी आपको माफ नहीं करेंगें। शायद यही पारिवारिक संस्कारों का बंधन हैं, जो अब सत्यपथ से डिगने नहीं देता। कोई ताकत अब मेरे फैसले से डिगा नहीं पाया।