रिज़वान मुस्तफ़ा/तहलका टुडे टीम
लखनऊ -एक तरफ यूपी मे डाक्टरो की कमी से सैकडो गरीब मरीज रोज़ मर रहे हैं वही भारत सरकार के आयुष मंत्रालय की लापरवाही से प्रदेश के 44 कालेजो की इस वर्ष क्लास चलाने की अनुमति अभी तक निस्तरित ना करने और प्रदेश सरकार के रिश्वतखोर अधिकारियो द्वारा प्रवेश प्रक्रिया मे बड़ी तेजी दिखाकर 3630 नये डाक्टर बन्ने पे ब्रेक लगा देने का मामला सामने आ रहा है। इसको लेकर CM PM और आयुष मंत्रालय मे शिकायत कर 44 कालेजो को अनुमति देने और तब तक तत्काल प्रवेश प्रक्रिया मे रोक लगाने कि मांग sshrnmt ट्रस्ट ने की हैं।
मालूम हौ प्रदेश में कुल 87 आयुर्वेदिक, यूनानी व होमियोपैथिक मेडिकल कॉलेज हैं जिनमे 17 राजकीय तथा 70 निजी क्षेत्र के हैं । उक्त कालेजों में उपलब्ध कुल सीटों की संख्या 6410 हैं जिसमें सिर्फ़ 720 राजकीय व बाक़ी 5690 निजी महाविद्यालयों में है । उक्त में से सिर्फ़ 43 कालेज ही प्रवेश प्रक्रिया में भाग ले पा रहे हैं क्योंकि उनमें से ज़्यादातर ऐसे हैं जिन्होंने पिछले साल 5 वर्ष की मान्यता ले ली थी जिन्हें इस वर्ष आयुष मंत्रालय भारत सरकार से प्रवेश की अनुमति नहीं लेनी पड़ी ।
बाक़ी निजी क्षेत्र के 44 कालेजों की अनुमति की फ़ाइलें अभी आयुष मंत्रालय भारत सरकार से निस्तरित नहीं हो पायीं हैं जिसकी वजह से उत्तर प्रदेश सरकार उन्हें बच्चों के प्रवेश के लिए विकल्प में शामिल नहीं कर रही है । उक्त 44 वंचित कालेजों में कुल 3630 सीटें हैं ऐसी दशा में उत्तर प्रदेश सरकार प्रवेश मे तेजी दिखा कर प्रक्रिया कैसे करवा रही है इस पर सवाल उठने लगे हैं।
इसकी शिकायत PM CM और स्वास्थ मंत्री और आयुष मंत्री से की गयी हैं।शिकायत मे 44 कालेजो के प्रवेश लेने कि अनुमति कि फ़ाईल निस्तरित करने और तब तक 17-18-19 को हो रही कौन्सलिंग प्रक्रिया को रोकने की मांग कि गयी है।